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फोटो की फितरत

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हमें फोटो खिंचवाने पसंद नहीं कुछ यादों से हमें शिकायत है दीवार पर टंगी तस्वीर में कैद, इन यादों ने की सच्चाई से बगावत हैं फोटो में खिलखिलाती हुई हसीं जो आज एक मुखौटे के पीछे फंसी जो लोग कंधे पर हाथ रख खड़े थे हर परेशानी जो साथ लड़े थे आज बस उन लोगों से फोन पर बात हो जाती है Video call पर कहीं रिश्तों की अहमियत खो जाती हैं दिन बीते, फिर महीने, साल और फिर ज़माना आज रिश्ते छोड़कर, पैसा है सबको कमाना उस तस्वीर मैं सभी, अपने अपने रास्तें चल पड़े और हम यादें लेकर वही रह गए, खड़े के खड़े उन्हें हमारी याद आए, न आए, कोई फर्क़ नहीं अखिर फोटो, फोटो ही रहेगा, और कोई तर्क नहीं कैसे परखें, क्या भ्रम, क्या असलियत है शायद गुमराह करना इस फोटो की खासियत है इसीलिए,  हमें फोटो खिंचवाने पसंद नहीं जिसमें छुपी यादों से हमें शिकायत है  shingala_the_storyteller 

Your Name

What's in the name... (she asked)? "It's the name that I connect with It's the name that makes me recall her It's the name that instigates my intuition Getting butterflies in my stomach, It's the name that grabs my attention Letter formation of that name hits me too hard Other day I saw your name on the wedding card Your name makes me remember you all the time Hence, I delete your number again and again, It's your name that gets you in front me, When I scroll my contact list everytime. If someone else, called by that name, I may not relate I have got you stuck with that name,  Years may pass by, we may not meet But whenever that name is uttered Your face unknowingly flashes by (for seconds though) Not being in talking terms, we avoid to greet But your name seems eternal, It has unknowingly accomplished some undesired feat I tell people that I am bad with names, Because some names have been engraved too deep Too deep for others to float nearby Not you, your ...

आशा की किरण

काली चादर ओढ़ी हुई रात उन रातों में तारे गिनना अधूरे ख़्वाबों की वो अधूरी बात उन अनकही बातों को रात के सन्नाटे में सुनना कि, सब ठीक हो जाएगा जब ख़ामोशी ज्यादा शोर करें और अंधेरा डराने का जोर करें आँखें बंद कर देता हूँ और जब भोर का स्वागत चकोर करें तब दिल को समझाता हूँ कि, सब ठीक हो जाएगा रोशनी ने अंधेरे से किया जंग का ऐलान कांप उठा अंधेरा, जब देखा आसमान काली रात जैसे थी ही नहीं मानो किसीने छिन लिया उसका सम्मान तुम सच कहते थे जो आज है, वो कल चला जाएगा डरो मत, सब ठीक हो जाएगा पर फिर से शाम आई, काली रात का न्योता ले आई बेटा, ज्यादा उड़ो मत तुम्हारे लिए मैं डर का सौगात ले आई फिर उसे जवाब मिला, "हमारी आशा की एक किरण करेगी तुम्हारे अंधेरे का अपहरण एक मौका देकर समझाया जाएगा, वर्ना कल सुबह, सब अपने आप ठीक हो जाएगा shingala_the_storyteller

अधूरी कहानी

कुछ लिखू,  और फिरसे हाथों को रोक दू कलम दौड़े,  और रास्ते में उसको टोक दू क्योंकि कुछ कहानियाँ अधूरी अच्छी होती है  और कहानी पूरी न हो,  तो लगता है, अपने ज़ज्बात की पुड़िया बनाकर दिल के कोई छोटे से कमरे में  उसे झोंक दू शब्द चीख रहे है,  पन्नों पर स्याही उबल रही है  पूर्ण विराम आज थक नहीं रहा  अल्प विराम को चुनौती दे रहा  इन्हें समझाना चाहता हूँ  कि भाई, निश्कर्ष (climax) हमेशा मुमकिन नहीं  आज आधे रास्ते को ही मंजिल समझ लू  और अपनी चलती गाड़ी को बीच में कहीं रोक दू सुना है, वक़्त बदलता हैं  ज़माने को अपने रंग दिखाता हैं  पर शायद मुझे इसी पल में जीना है  गहरे सन्नाटे से बातें करना हैं  पूछना है,  कहानी में खुद पूरी कर दू ? या बीच में ही उसे कहीं छोड़ दूँ ? कुछ लिखू, या हाथों को कहीं रोक दू

नज़रिया

चलो, आज खुदको, तुम्हारी नज़र से नहीं  खुद की नज़र से देखें  थोड़ा तुम भी मेरा हाथ पकड़ लो  थोड़ा हम भी खुदको सम्भाले  तुम्हारे सहारे के मोहताज जरूर है  इतनी बेबसी कल नहीं थी, पर आज जरूर है  थोड़ा तुम भी एक बार मुड़कर देखों  थोड़ा हम भी नए रंग आजमाए  तुम्हारी इतनी आदत, हमें अच्छी नहीं  तुम्हारें चेहरे में मगरूर,  अपने चेहरे की हमें याद नहीं  हमारे पास भी एक दिल था...... शायद, जो धड़कना भूल गया, पर हमें फ़रियाद नहीं  सुनो, थोड़ा तुम भी आज मुस्कुरा दो  हम भी पुराने नजरिये को छुपाए  हर पल सोचना, तुम क्या सोचते हो  हमारी सासों को, तुम्हारी यादों से  कितना तोलते हो  हम तो शब्दों को मानते हैं,  और तुम आँखों से कितना बोलते हो  चलो तुम्हें छोड़कर, खुद के लिए कुछ लिखें  आज, खुदको तुम्हारी नज़र से नहीं  खुद की नज़र से देखें 

वो पल

वो पल और फिर से याद आई उस पल की, जो हसीन था थोड़ा रूखा सूखा, थोड़ा रंगीन था वापस नहीं आएगा हमें यकीन था जो था, सब ले गया और, अच्छा है चला गया उसपर आरोप बड़ा संगीन था वो कुछ ज्यादा ही हसीन था कुछ ज्यादा ही रंगीन था उस एक पल में मानो जीवन बिता और अगले पल ने, खुशियों को ऐसे लपेटा जैसे दो पल के बीच, सदियों का फासला, कोई कैसे माने, चहरे ने अपनी हसीं के पीछे, कुछ आसुओं को कैसे समेटा और फिर से याद आई उस पल की जिसने जीने का एक पहलू दिखाया साँसे चल रही हैं, इसका एहसास दिलाया हाँ, जी भरकर ज़रूर रुलाया पर आज,उस पल की याद, हल्की सी मुस्कान भी ले आया कभी-कभी ऐसा लगता है शायद, उस पल ने ही, मुझे मुझसे मिलवाया  shingala_the_storyteller

Scar remains

When you are full of spirit Fortune bestowing unexpected merit Excited about everything around When your happiness knows no bound Suddenly, your smile fades, Wrinkles between your eyebrow invades You wonder how quickly the table turns, When suddenly from nowhere, grief pervades At times, I laugh it out At times, I cry until my tears run out Playing football with my feelings, Life drives me crazy, in and out I know, time heals, but the scar remains, Sun will shine, but I am concerned  with shadow of fear it retains, And then 'You move on…..' Giving up negotiation, when life bargains That scar reminds you of your true worth, Making some pearls of wisdom unearth, It screams, "you are easily replaceable" Then, it kills your identity,  And blesses you with a new birth.