फोटो की फितरत
हमें फोटो खिंचवाने पसंद नहीं कुछ यादों से हमें शिकायत है दीवार पर टंगी तस्वीर में कैद, इन यादों ने की सच्चाई से बगावत हैं फोटो में खिलखिलाती हुई हसीं जो आज एक मुखौटे के पीछे फंसी जो लोग कंधे पर हाथ रख खड़े थे हर परेशानी जो साथ लड़े थे आज बस उन लोगों से फोन पर बात हो जाती है Video call पर कहीं रिश्तों की अहमियत खो जाती हैं दिन बीते, फिर महीने, साल और फिर ज़माना आज रिश्ते छोड़कर, पैसा है सबको कमाना उस तस्वीर मैं सभी, अपने अपने रास्तें चल पड़े और हम यादें लेकर वही रह गए, खड़े के खड़े उन्हें हमारी याद आए, न आए, कोई फर्क़ नहीं अखिर फोटो, फोटो ही रहेगा, और कोई तर्क नहीं कैसे परखें, क्या भ्रम, क्या असलियत है शायद गुमराह करना इस फोटो की खासियत है इसीलिए, हमें फोटो खिंचवाने पसंद नहीं जिसमें छुपी यादों से हमें शिकायत है shingala_the_storyteller