ख्वाहिश

एक ख्वाहिश है,
उस झील के किनारे बैठने की 
लहरों को घंटों तक घूरने की 
जहाँ बैठे सदियाँ बीते 
और परवाह न हो जीने की 

एक ख्वाहिश है, 
परिन्दों की तरह उड़ने की 
अगर घिरे, फिर वापस उड़ने की 
जहाँ हमारे पंख बंधे न हो 
और शर्त लगे, आकाश पर सियासत करने की 

एक ख्वाहिश है, 
बेबाक खुलकर हंसने की 
कहीं, जी भरकर रोने की 
कोई पूछे, भाई, सब खैरियत?
और बात हो आँखों से जवाब देने की 

एक ख्वाहिश है, 
जिंदगी का खिलौना चलाने की 
पूरी दुनिया पर कब्ज़ा करने की 
बस इस खिलौने की चाबी हमारे पास हो 
जरूरत न पड़े, किसीके मोहताज रहने की 

एक ख्वाहिश है, 
कलम से हमारी कहानी कहने की 
कुछ ज़ज्बात लोगों तक पहुचाने की 
कोई पढें या नहीं, कोई फर्क़ नहीं 
असल में ख्वाहिश है, 
एक दिन खुद को खुद से मिलने की 

Comments

Popular posts from this blog

सूत विश्वास का

वक़्त से दरख्वास्त

Reality vs Illusion