सोच समजकर बोले
ख़ुदको दुसरो के सामने
इतनी शिद्दत से ना खोले
आप सामने शीशा समझते जिसक़ो
और अपनी जिंदगी के सारे पन्ने खोले
उसीने दिखाया शीशे में
तुम्हें अपना दाग
असल में दाग उस शीशे पर था,
तुमने खामखा खुदपर शक के बीज बोए
भरोसा ठीक, लेकिन किस्से ?
जिसने दो अच्छी बातें सुनाई उससे ?
अरे यहाँ सब रिश्ते रेशम की डोर से बंध गए
फिर कटपुतली की तरह, कभी हसे कभी रोए
Don't you feel vulnerable at times,
When you open up in front of a stranger
You may feel connected at times,
Don't you realize you're in grave danger?
याद रख Shingala, ये सब सर्कस है,
कही फूलों की बारिश,
कही बारूद के गोले
अपनों से थोड़ा सोच समजकर बोले,
बस, अपनी जिंदगी के सारे पन्ने ने खोले
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