चलते चलते
सफर यूँही कट जाएगा चलते चलते
मंज़िल पाओगे एक दिन चलते चलते
पीछे मुड़कर एक बार जरूर देखना
कुछ पाने में, क्या छूट रहा है.....चलते चलते
मोड़ आयेगा, नए लोग मिलेंगे,
पुराने दोस्त छूट जाएंगे... चलते चलते
मंज़िल लंबी है, रिश्ते आजमाए जाएंगे
कुछ अपने रूठ जाएंगे..... चलते चलते
बारिश, तूफान, कोई बड़ी बात नहीं,
आँधियों ने हमे काफी घेरा है... चलते चलते
तुम निराश मत होना अगर पैर लड़खड़ा जाए
ज़ख्म अपने आप भर जाएंगे... चलते चलते
क्या सोच रहे हो ? कहाँ तक पहुँचे?
अरे पीछे देखो, तुम कहाँ तक पहुँच गए... चलते चलते
भाई, मंजिल का पत्ता कुछ और है
भागों मत, जिंदगी का भरोसा नहीं,
रास्ते के बीच में उठा लिए जाओगे
जब तक हो....सफर का मज़ा लो... चलते चलते
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