जीवन का चित्र
चलो कुछ बनाते है
आज हम खुद की दुनिया सजाते है
रंग भले कोई भी हो
ढंग भले कोई भी हो
आज अंदर के कलाकार को जगाते है
चलो कुछ बनाते है...
चित्र बनाना आए या नहीं
कोई फर्क़ नहीं पड़ता
रंगों से खेलना आए या नहीं
कोई फर्क़ नहीं पड़ता
तुम अपनी आखों में पूरी कायनात लेकर चलते हो,
कागज़ पर कोई मंज़र बने या नहीं
कोई फर्क़ नहीं पड़ता
बस अपनी धुन में मस्त रहो
कुछ बनाता हो तो ठीक
वर्ना, अपनी किस्मत की स्याही से रंग भरते रहो
कुछ ना कुछ तो जरूर बनेगा
अपने विचित्र चित्र का मज़ा लेते रहो
अपना बनाया मुकद्दर कैसा है,
आज अपने आप को दिखाते है
चलो कुछ तो बनाते है ....
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