तलाश

चांद के पीछे छुपी उस रोशनी की तलाश है

आंधी में लिपटी उस ठंडी सुकून की तलाश है 

इस तलाश मैं शायद पूरी जिंदगी बीत जाएगी 

और इस इंतजार के अंधेरे में एक उम्मीद के किरन की तलाश है 


हमारे कितने रंग है, हम खुद ही नहीं जानते 

नाम के अलावा, शायद हम खुदको नहीं पहचानने 

आज शायद तितली भी अपने रंगों पर शक करेगी 

अपनी खूबसूरती के पीछे छुपे हुए डर की तलाश है 


अब शिकायत किस्से करे, कौन सही, कौन गलत 

भरोसा किसका करे, किस्से बैर, किस्से संगत 

लोगों के पास, अपने सवालों के जवाब ढूँढते है 

असल में, इस मुखौटे के पीछे अपने चेहरे की तलाश है 


पर साहब, इस तलाश का मज़ा कुछ और है 

इस रास्ते का सफरनामा कुछ और है 

बैचेनी बढ़ेगी, पलकें थोड़ी गिली होगी

जब पता चलेगा कि मंज़िल तुम खुद हो, 

सुनो, कोई और नहीं,  हमें अपने आप की तलाश है 

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