शिकायत

अरे  चांद, थोड़ी शर्म कर 
इतना खुलकर मत हस,
सब तुझे देख रहे हैं 
थोड़ा रहम कर भाई, अब बस !
तुझे आवाज क्या दी, भूल गया 
आज पूनम है के अमावस ?

थोड़ा वक़्त है ?
एक शिकायत करू ?
हर दिन बदलता रहता है,
तेरा भरोसा कैसे करूँ ?
खैर छोड़, यह बता, 
तूने कोई मौन व्रत लिया है क्या?
अभी एक तरफा बातें कैसे करूँ ?

तुझे पता है , 
यहाँ सब तेरे जैसे रहते है 
हर दिन एक नया रूप दिखाते रहते है 
जब बात करने जाओ तो,
बादलों जैसे, मोबाइल स्क्रीन के पीछे 
छुपे रहते है 

तुझे में डाट भी नहीं सकता 
चाहकर भी मुँह मोड़ नहीं सकता 
तुम यह दाग लेकर क्यूँ घूमते हो 
जब तुम्हारी मासूमियत को 
कोइ नजर लगा नहीं सकता 

एक बार बस तुम्हें हाथ लगाऊँ 
मेहसूस करूँ चांद अखिर में कैसा होता है
बस सुबह श्याम तुम्हें निहारूं 
ऐलान करू, आज से चांद मेरा होता है 

काश मैं वो आकाश होता... 
हर पल तेरा साथ होता 
क्या करे, नसीब अपना - अपना होता है 
मेरी शिकायत सुनने आजा नीचे,
चल दिखा देते है लोगों को आज,
असल मैं, कौन अपना, कौन पराया होता है 

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