जो होता है , अच्छे के लिए होता है



चाहे हम लाख कोशिश करे 

आखिर में जो होना है वही होता  है 

फिर क्यों इतनी शिद्दत से मेहनत 

फिर कैसी यह मन में हसरत 

और क्यों अपने ख्वाबों को सींचे 

जब की मेरे मुताबिक कुछ नहीं होता है 


कर्म के पहले ही फल की आशा 

जो चाहे वो न मिले, उठ पड़ी निराशा 

कभी कभी मन बावरा हो जाता है 

जब परिणाम का पलड़ा 

कर्म से भारी हो जाता है 

फ़िज़ूल में क्यों वक़्त बर्बाद करता है,  

आखिर में जो होना है वही होता  है 


अगर ऐसा प्रकृति सोचे तो कैसा होता 

न कभी दिन ढलता, 

न चाँद अपना मुख दिखाता 

पृथ्वी ज्यो की त्यों रहती,

मौसम कभी नहीं बदलता 

नियम का पालन तो कुदरत भी करता  है 

पर आखिर में जो होना है वही होता  है 


पौधे को हम सिर्फ पानी डाल सकते है 

खींचकर बड़ा नहीं कर सकते  

रिश्तो को हम सिर्फ निभा सकते है 

जीवन भर जोड़े रखने का दावा नहीं कर सकते 

जो हमारे हाथ में है ही नहीं,उसका विचार क्यों करता है, अंकित 

विश्वास रखो, आखिर में जो होता है , अच्छे के लिए होता है 

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