वक़्त से दरख्वास्त
काफ़ी परेशान किया हैं वक़्त तूने आज बड़ी फुर्सत से आँख लगी है .. सोने दे कल वैसे भी कल आएगा बेवजह फिक्र छोड़, जो होता है होने दे... बस आज चैन से सोने दे... अच्छी खासी नींद लगी कि विचारों ने अपना जाल फैलाया उपर से अंधेरे ने अपना क्या खूब कहर बरसाया कोई इसे सुलाकर दिखाए खौफ़ ने मानो सिर पर हाथ थपथपाया मन कहता है विचारों के बीज़ को जमकर बोने दे और तू कहता हैं.... अब तो भैया चैन से सोने दे..... थोड़ी देर में हुआ सवेरा धूप ने खिड़की पर लगाया पहरा मंद मंद मुस्काते बोली उठो, लेने आई तुम्हारा अंधेरा वक़्त तुझे बदलना पड़ेगा मेरी किस्मत का साथ देना पड़ेगा आज की रात इस घड़ी के कांटे को कस्स कर पकड़ने दे आशा भरे ख़्वाब लिए आज चैन से सोने दे...