ज़ख्म
सब चला गया, बस कहानियाँ रह गई
कुछ लम्हें याद हैं,
पर उन यादों को फ़रियाद हैं
कि, ज़ख्म भर गया, पर निशानियाँ रह गईं
यह निशानी अच्छी है
हमें याद दिलाती है कि,
आप लाख कोशिश करे
कुछ न कुछ छूट ही जाएगा
अगर शिद्दत से किसीको चाहे,
वो बेवजह रूठ ही जाएगा
अब रिश्ते रहे, न रहे, पर जिम्मेदारियाँ रह गई
कमबख्त, ज़ख्म भर गया, पर निशानियाँ रह गईं
यह ज़ख्म भी अच्छा है
सिखाता है, कि लगाव,
किसी व्यक्ति या कोई चीज से
ज्यादा समय नहीं टिकेगा
अगर टिक गया, तो उसके शिकंजे में जरूर फंसेगा
सच हैं, आज कोई साथ नहीं रहा,
बस तन्हाइयाँ रह गईं
ज़ख्म भर गया पर उसकी निशानियाँ रह गईं
खैर,
बिता हुआ कल, बीत गया
आने वाला कल, किसने देखा
वापस गिरेंगे, चोट लगेगी
मरहम पट्टी लगाकर, कर देंगे अनदेखा
चलो, आज उस ज़ख्म के निशान को सजाते हैं
उसे थोड़ा सलाहकार, खुद को समझाते है
कि पीछे मुड़कर देख,
ये तकलीफें जाने अनजाने
कितनी कहानियाँ कह गईं
सुनो,
ज़ख्म भी अच्छा हैं,
वो अपने आप भर जाएगा,
बस इसे याद दिलाने उसकी निशानियाँ रह गईं
Shingala_the_storyteller
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