बस 5 मिनट

अरे भाई, अभी तो माहौल बनाना हैं 
खुद का खुद से पर्दा उठाना है 
हम कौन हैं, हमारी कहानी के किरदार कौन हैं 
सबका परिचय देना है 
और आप कहते है, 5 मिनट 

हर पड़ाव पर, हमें हराकर चुनौति जीत गई 
जीवन के नुस्खे सीखते सीखते, सदियाँ बीत गई 
यहाँ वो सदियाँ कुछ लम्हों में दिख जाती है 
पर दोपहर खत्म होने पर जब शाम मुस्कुराती है 
तब जनाब कहते है 5 मिनट 

काश समय का अंदाजा, समय को न हों 
यह मंजर बना रहे, कोई रोक न हो 
घड़ी के कांटे आज एक दूसरे से बगावत करें 
पर कोई चाहता है हमारा सपना सच न हो,
और वो कहता है, बस 5 मिनट 

क्या बोले, क्या नहीं,
कितने टूटे हैं, हमें खुद अंदाजा नहीं 
कहाँ से शुरू करें, कहाँ ख़त्म, 
हमारे जज़्बात पर, हमारा कब्ज़ा नहीं 
कुछ अधूरा है, जो यहाँ मुक्कमल करने आए
हम तो समझ गए, पर कमबख्त दिल को लज्जा नहीं 
अभी, इस दिल को कैसे समझाए 
भाई, बस 5 मिनट 

Comments

Popular posts from this blog

सूत विश्वास का

वक़्त से दरख्वास्त

Reality vs Illusion