मीठा दर्द
दर्द बड़ा अजीब है दोस्तों अंदर छुपाया नहीं जाता पर कश्मकश देखो अपनों को दिखाया भी नहीं जाता चिल्लाके बयां क्यों करूँ सिले हुए होठो को क्यों खोलूं गले से उतरा वह पानी नहीं था मेरे आसुंओं का हिसाब क्या करूँ मानो किसीने पत्थर रख दिया दिल अचानक से भारी हो गया अब तक सबकुछ ठीक था चंद मिनटो ने मुझे यह कैसा उलझाया क्या यह दर्द कभी नहीं जाएगा क्या यह मेरा पीछा कभी नहीं छोड़ेगा पता है सवेरा अँधेरे को सिर्फ छिपा देता है पर क्या यह अँधेरा कभी नहीं मिटेगा सुनते है - There is light at end of the tunnel पर रास्ते में यह tunnel दोबारा तोह नहीं आएगा ? अभी मुझे उम्मीद की कोई उम्मीद नहीं रहने दो मुझे अपने हाल पे इस दर्द का भी आज मज़ा लेते है बाकी सब छोड़ देते है समय के जाल पे - Ankit P. Shingala Picture Courtersy : Photo by cottonbro from Pexels