मिट्टी का खिलौना



औरों की तरह मेरा बचपन था बड़ा सुहाना,

शरारतों से भरा क्या खूब था वह ज़माना |

गिरगॉम चौपाटी पर, मिट्टी से खेलने का बड़ा शौक था 

कुछ बनाके मिटाना  

और कुछ मिटाके फिर नया बनाना 


हलाकि, अभी ज़िन्दगी है कुछ बिलकुल वैसी 

बस मिट्टी, वह मिट्टी नहीं रही पहले जैसी 

डर है, बने हुए को तोडना और फिर नया बनाना 

अरे भाई बचपन गुजरे एक अरसा हो गया 

मुश्किल है यह दिल को समजाना 

औरों की तरह मेरा बचपन था बड़ा सुहाना


शौक था, घर बनाने से ज़्यादा, मिट्टी को खोदना 

जब तक दिल न भरे, परतो को समेटना 

अपने आप से यह पूछना 

यह मिट्टी खत्म क्यों नहीं होती 

और अपना जवाब खुद ढूँढना 

औरों की तरह मेरा बचपन था बड़ा सुहाना


एक दिन जब सागर की कोड़ी हाथ लगी, 

तब कही जाके मन भराया 

हाथ अपने आप रुके, 

उस लम्हे ने एक ऐसा एहसास कराया 

आखिर में सब मिट्टी है, 

पढाई-लिखाई, व्यापार-नौकरी, घर, रिश्ते - 

यहां नहीं है उसका ठिकाना 

ढूँढना है वह असली खज़ाना 


बस जिंदिगी को मिट्टी की तरह खोदते जाना

आपके वजूद को एक दिशा देते जाना 

यह  जीवन केवल एक ज़रिया है 

बस अपने आप को तराशे जाना 

क्यूँकि आपसे कीमती कुछ हो ही नहीं सकता 

बचपन की सिख लेते जाना

बाहर केवल  मिट्टी का ढेर है 

अपने अंदर छुपा है वह असली खजाना 


इसीलिए,औरों की तरह मेरा बचपन था बड़ा सुहाना

सिखाके गया खेलना यह अजीब मिट्टी का खिलौना 


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