हसीं के पल

तो सुनो, एक दिन comedian आया
मेरे दोस्तों को जी भरकर हसाया
किसीकी पेट पकड़कर हसीं निकल रही थी
किसीकी आँखों से पानी बनकर बरस रही थी 
कुछ पल के लिए परेशानी अपना पता भूल गई
सबके चेहरे के शिकन हसीं में घूल गई

स्टेज के आगे तीसरी पंक्ति पर बैठा
मेरे ज़हन में एक सवाल उठा
इतनी हसीं का पिटारा कहाँ से आता है
लोगो का मन ये चुटकुले कैसे लुभाता है
हमें कोई बीमारी है क्या ?
हसीं से कोई हमारी दुश्मनी है क्या ?
फिर हम क्यों सबके चहरे ताकते रहे
जब लोग उस माहौल का मज़ा लेते रहे 

हसना कोई कला नहीं जो सीखी जाए
वो बस आ जाती है, पर कैसे - कोई तो समझाए
सुना है, हसीं मन को हल्का कर देती है
बेज़ुबान मुस्कान को एक आवाज देती है 
चेहरा एकदम से खिल उठता है,
मानो अंदर सोया हुआ बच्चा फिर से जगता है

शायद, हमारा problem गहरा है
इलाज करवाना पड़ेगा, वर्ना ख़तरा है

हमने जिंदगी से शिकायत कर दी है already
कि इसका न कोई तर्क है और न है कोई remedy 
जिंदगी बोल उठी, अरे, हंस भी दो, 
 तुम्हें comedian की जरूरत क्या, 
जब मैं करती रहती हूँ तुम्हारे साथ दिन रात comedy

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