चलती का नाम गाड़ी
बस, चलता जा,
चाहे दिशा कोई भी हो
तू अपने आप को ही पाएगा,
सामने शीशा कोई भी हो
किस मुकाम तक पहुचना है,
इसका अंदाजा मत लगा
हर मुक़ाम के उपर, और एक मुक़ाम पाएगा,
चाहे तुम्हारा पेशा कोई भी हो
याद रखना, बस एक शर्त है,
रुकना नहीं, वक़्त कम है,
कहीं रास्ता सीधा है, कहीं गड्ढे पाएगा
चाहे तुम्हारा रास्ता कोई भी हो
मंजिल उतनी ही करीब है
जितनी तू दूर समझता है
सफर के अंत में, तू एक नया सफर ही पाएगा,
चाहे मंज़िल का पता कोई भी हो
अकेले चलना है,
किसी और की आशा मत रख,
क्योंकि,अखिर में खुदको अकेला ही पाएगा,
चाहे तुम्हारे 'अपने' कोई भी हो
सोचा है, जब हम चलते है
एक कदम आगे, और एक पीछे छूटता है
जिंदगी का उसूल है, कुछ छूटेगा, कुछ पाएगा,
चाहे इस सफर का मुसाफिर कोई भी हो
- shingala_the_storyteller
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