गुमशुदा "मैं "
कहीं खो गया है वो
लगता है, तकिये के नीचे
कहीं छुप गया है वो
बताना अगर आपको दिख गया
पता नहीं कहाँ खो गया वो
सम्भाल लेता मुझे,
अगर, घर या ऑफिस का माहौल बिगड़ा
"सब ठीक हो जाएगा", ये दिलासा देता मुझे,
सन्नाटे को आवाज देता था वो
पता नहीं कहाँ खो गया वो
अरे, दोस्त था वो मेरा,
जब सबने साथ छोड़ा,
उसने पकड़ रखा था हाथ मेरा
इन आँखों से मेरे ज़ज्बात को समझता वो,
पता नहीं कहाँ खो गया वो
फिर एक दिन, जब जरूरत पडी
याद किया उसे हर गड़ी,
पहले, सिर्फ़ इशारों की भाषा समझता वो
आज, चिल्लाने पर भी नहीं आता वो
पता नहीं, कहाँ खो गया है वो
आज अचानक उसकी याद आई
मैंने बाहर देखा, वो नहीं था,
अंदर से उसने आवाज लगाई
"मैं, तुम्हारा "मैं " हूँ भाई "
जो नाम देना है दे दो,
मैं ही हूँ तुम्हारी परछाईं
कहाँ मिलेगा जब कहीं था ही नहीं
शायद खुद, अपने आप से खो गया है वो
- Ankit P Shingala
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