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Showing posts from May, 2021

I want to Blossom !

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What a pleasant surprise!  To see a bud blossom Staring , with a victory smile Looking around inquisitively  I will now be a part  Of this magnificent kingdom Few days from now,  I will be wonderful flower Radiating beauty and let my fragrance shower Experiencing to fullest my new freedom What a pleasant surprise to see a bud blossom Wait, why is nature turning vibrant ? It wasn't like this a while ago, Things are completely turning different  My stem, where are you, hold me tight Roots you are not visible, I trusted your might Was my wish to see this world, just a phantom ? Will anyone again witness me blossom ? Weren't storms enough, why rains now ? I am just growing, have some mercy Can someone let sunshine allow Before I give up,  before I fall down, And my dreams shatter to blossom Before someone just walks over me random I am not just a bud, I illustrate all those who wants to blossom, Like some amount of light and water, Some love, respect that anyon...

खुदा ग़वाह

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  एक फ़क़ीर अपनी मौज में चलता हुआ   दुनिया के गीले शिकवे को भूलाता  हुआ  अपने मालिक को याद करता रहा,  बारिश जोरो की थी ,  भूख बेकाबू कर रही थी , करें भी तो क्या,पैसा छोड़ो,  उस फ़क़ीर के कुर्ते में ज़ेब भी नहीं थी    एक दुकान पर आके खड़ा हो  गया   नाश्ते  को बस  निहारता गया   अचंभित हुआ, जब दूकानवाले ने, एक प्लेट जलेबी और गरम दूध  युहीं उस फ़क़ीर को थमा दिया वाह मालिक तुझे मेरी इतनी फ़िक्र  ख्वाइश पूरी करदी, बिना मेरे ज़िक्र  फिर से अपनी मौज में चल दिया  बारिश का सारा मज़ा लूटता गया  ज़ोर से एक खड्डे  में छलांग मारी  गंदे पानी ने पीछे खड़ी लड़की के कपड़ो को ख़राब किया  उसका पति तिलमिलाया  फ़क़ीर माफ़ी मांग ही रहा था  उसके पहले ही, ज़ोर से चाटा जड़ दिया  यह सोचकर फ़क़ीर मुस्कुराया, कभी गरम दूध, कभी चाटा खिलाया  मालिक, बड़ी गजब तेरी माया  कुछ दूर जाने के बाद, उस लड़के के साथ हुई दुर्घटना  उसकी पत्नी, स्तब्ध रह गयी  क्या उस फ़क़ीर के कारण यह हुआ...

जो होता है , अच्छे के लिए होता है

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चाहे हम लाख कोशिश करे  आखिर में जो होना है वही होता  है  फिर क्यों इतनी शिद्दत से मेहनत  फिर कैसी यह मन में हसरत  और क्यों अपने ख्वाबों को सींचे  जब की मेरे मुताबिक कुछ नहीं होता है  कर्म के पहले ही फल की आशा  जो चाहे वो न मिले, उठ पड़ी निराशा  कभी कभी मन बावरा हो जाता है  जब परिणाम का पलड़ा  कर्म से भारी हो जाता है  फ़िज़ूल में क्यों वक़्त बर्बाद करता है,   आखिर में जो होना है वही होता  है  अगर ऐसा प्रकृति सोचे तो कैसा होता  न कभी दिन ढलता,  न चाँद अपना मुख दिखाता  पृथ्वी ज्यो की त्यों रहती, मौसम कभी नहीं बदलता  नियम का पालन तो कुदरत भी करता  है  पर आखिर में जो होना है वही होता  है  पौधे को हम सिर्फ पानी डाल सकते है  खींचकर बड़ा नहीं कर सकते   रिश्तो को हम सिर्फ निभा सकते है  जीवन भर जोड़े रखने का दावा नहीं कर सकते  जो हमारे हाथ में है ही नहीं,उसका विचार क्यों करता है, अंकित  विश्वास रखो, आखिर में जो होता है , अच्छे के लिए होता है 

जवाब देना है

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मुझे कुछ इस तरह महसूस हो गया  लव्स नहीं थे, एक सन्नाटा सा छा गया  न जाने कैसी खामोशी मेरे अंदर बैठी थी  पता नहीं, ये वक्त का कैसा साया बन गया  जब दिल से बात ज़ुबान तक पहोची  शब्द आँसू  में बदल गया  क्यों , कैसे , पता नहीं,  दिन के बाद महीने , महीनो के बाद  आज करीब एक साल हो गया  क्या घड़ी  का काटा सचमुच  रुक गया नए दशक का स्वागत करने ही वाले थे  नए सपने बुंदने ही वाले थे   इस दहशत का कारवाँ  कैसे बनता गया   मुझे कुछ इस तरह मेहसूस हो गया  लव्स नहीं थे, एक सन्नाटा सा छा गया  पर हम डरे नहीं, मुहतोड़ जवाब देने का फैसला किया  अब आम इंसान भी खाखी और सफ़ेद वर्दी वाला बन गया वैक्सीन को दुनिया के कोने कोने में पहुचाया  करीब ६ महीने में, एक आशा का दीप  जलाया ज़िन्दगी  पटरी पर लौट ही रही थी  कम्बक्त वक्त फिर से ठहर गया  फिर से मुझे कुछ इस तरह मेहसूस हो गया  लव्स नहीं थे, एक सन्नाटा सा छा गया  हर मुकाबले में एक हार और जीत तो होती है  पर यह स्पर्धा कुछ और है...