Interview

एक interview में मुझे पूछा गया 

"तुम्हारे बारे में कुछ बताओ

क्या खोया, क्या पाया

भाई, ज़रा हिसाब लगाओ"

 

जनाब, मेरा जवाब रटा हुआ है

मेरी तकदीर का ताला टुटा हुआ है

अब चाबी ढूँढू या शिकायत करू

यह लिखते लिखते, पता न चला के

के मेरी CV का आखरी पन्ना फटा हुआ है 

 

पूरी ज़िन्दगी का निचोड़,

मैं  खुद नहीं समज पाता 

अटपटे रास्तो पर, मैं उलझ जाता

कहाँ जाना चाहता हूँ, मेरी मंज़िल क्या है 

काश google maps मुझे बता पता 

 

"तुम 10 साल बाद अपने आप को कहाँ देखते हो"

मेहनत की धूप में अपने आप को कितना सेकते हो?"

 

अरे सर, मेरा भविष्य मुझे पता होता

तो शायद आपका interview आज में ले रहा होता 

हर 10 दिन में जमाना बदल रहा है, और हर 10 महिनो में दुनिया

हम भी बैठे बैठे कमाते

अगर मेहनत करना आज सिर्फ एक विकल्प होता 

 

इस तरह ये interview  का कारवां चलता रहा

सवाल वही थे,

पर मैं जवाब ढूंढ़ता रहा

इस पड़ाव पर कोई मुझे समजे या नहीं

पर मैं अपना मुखौटा  हटाता रहा

job मिले या नहीं ,

ज़िन्दगी खुद एक "offer letter " है

में अपनी मौज में, अपनी खोज में चलता रहा

           - Ankit P Shingala




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