आज अपने दिल की सुनेंगे
बाहर के शोर को
कुछ नियमो के जोर को
पहली किरण के भोर को
आज हम खुलके कहेंगे
कि हम अपने दिल की सुनेंगे
दौड़ती हुई ज़िंदगी को
घायल हुई मौजूदगी को
अंदर छिपी सादगी को
आज थोड़ा बाहर निकालेंगे
बस, हम अपने दिल की सुनेंगे
हम दुनिया की क्यों सुने
अपने छोड़ गैरो को क्यों चुने
हररोज़ नया रिश्ता क्यों बुने
आज अपने आप में मस्त रहेंगे
और थोड़ा अपने दिल की सुनेंगे
दिल की आवाज़ थोड़ी अजीब है
मनो दूर से आ रही हो
भले सबसे करीब है
थोड़ी धीमी,पर मनो ज़ोर से घुर्राती
और उसकी न सुनो
फिर आपका नसीब है
आज इस आवाज को नहीं रोकेंगे
चाहे जो हो, हम अपने दिल की सुनेंगे
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