बुरा न मानो - होली है

आज रंगो से कोई छूटा है क्या ,

पहले सिर्फ आकाश था, फिर प्रकीर्ति,

नदिया, फूल, पर्वत, फिर पक्षी

पर आज धरती से ध्यान किसका हटा है क्या 

आज रंगो से कोई छूटा है क्या ,


क्या होली साल में एक बार आती है 

मुझे पूछो तो यह कब जाती है ?

हर दिन ज़न्दगी एक नया रंग दिखाती है 

ये रंग सिर्फ मुँह पर लिपटा है क्या, 

इन रंगो से कभी कोई छूटा है क्या


सफ़ेद रंग प्रकाश का और काला अँधेरे का प्रतिक है 

पर आज समजे, दोनों की ज़रूरत

भले जीवन में कोई कम है कोई अधिक है 

सभी रंगो का मज़ा लेने में कोई घाटा है क्या 

सावला या सफ़ेद, आज रंगो से कोई छूटा है क्या ,


तैयार रहे हर दिन ,बहार सभी रंगो की टोली है 

मज़ा ले हर रंग का, क्योंकि हर दिन होली है

पानी से उतरेगा, फिर नया रंग चढ़ेगा

पर हौसलों का बाँध अभी टुटा है क्या 

इन रंगो से कभी कोई छूटा है क्या


 - Ankit Shingala

Comments

Popular posts from this blog

सूत विश्वास का

वक़्त से दरख्वास्त

Reality vs Illusion