सूत विश्वास का
एक समय की बात है यारो, सुनो बड़े ही ध्यान से मुन्नी के हालात कठिन लेकिन मस्ती में रहती शान से अपने भोले (भाई ) को देख आंखे नर्म हो जाती भला ३ साल के फ़रिश्ते को epilapsy की बीमारी क्यों सताती ? भोले को seizure के दौरे आते तब यह बीमारी,उसे कम, मुन्नी को ज़्यादा डराती एक दिन माता पिता को सुना कुछ ३० लाख का खर्चा है घर, ज़मीन सब कुछ दांव पर कुछ शेष नहीं बचा है अब तो कोई करिश्मा ही काम आएगा पता नहीं Thakorji ने खेल कैसा रचा है बड़ी अस्पता के neurosurgen नीरज अग्रवाल की उम्मीद है अगर वो इलाज़ न करे फ़िर हमारे लिए क्या दिवाली, क्या ईद है मुन्नी अपने गुल्लक को तोड़ सभी पैसे निकालती हर रोज़ बाज़ार के, दो चक्कर जरूर लगाती काश ऐसी कोई दवाई मिले जो अपने भय्यू को ठीक करें एक दिन, दवाई के दुकान पर पहुंची "पूरे ३० रुपये है मेरे पास और थोड़ा Thakorji पर विश्वास "यहाँ epilepsy का इलाज मिलता है" आवाज़ आई - "चल हट यहाँ से, कोई भी मुँह उठाए चला आता है" पीछे खड़ा...