दोस्ती की परिभाषा
कृष्णा ने देखि परेशानी मेरी और मानों परेशानी और भी परेशान हो गयी परेशानी बोली, "हाय ! किसने मुझे ऐसी नज़रों से देखा ? में खुद अपनी नज़रों से गिर गयी माना तेरा दोस्त है वो तो क्या उसे हम छोड़ दे अरे, हमारा शिकंजा इतना कच्चा नहीं के तू जैसे चाहे मोड़ दे बस तू अपनी नज़र हमसे हटा के हम अपना काम कर सके तेरे दोस्त को परेशान हम करेंग किसीकी हिम्मत नहीं, कि हमे रोक सके!" कृष्णा बोले, "अरे मैं कहाँ तुम्हे रोकूं, तुम अपना काम करो मैंने क्यों तुम्हे टोकू, मुझे यूँ बदनाम मत करो मैं तो केवल देखना चाहता हूँ , तुम किस हद तक जाते हो, अरे! मेरा दोस्त है वो, हम भी देखे, कितना सताते हो देखना, तुम्हारा प्रभाव उसपर नहीं पड़ेगा उसे न फ़िक्र है फ़िक्र की, और न परेशानी है परेशानी की, तम्हारा यहां सिर्फ वक़्त बर्बाद होगा" परेशानी बोली, "चलो मैदान में, देखते है, किसका पलड़ा भारी है कौन मेरे सामने जुकता है, और कौन किसका आभारी है कर्म किया है तो भुकतना पड़ेगा तेरे दोस्त...